My Favourites - Dr Kumar Vishwas(4)

मै तुम्हें ढूंढने...........


मै तुम्हें ढूंढने स्वर्ग के द्वार तक
रोज जाता रहा रोज आता रहा
तुम ग़ज़ल बन गयी गीत में ढल गयी
मंच से मैं तुम्हे गुनगुनाता रहा

जिंदगी के सभी रास्ते एक थे
सब की मंजिल तुम्हारे चयन तक रही
अब प्रकाशित रहे पीड़ के उपनिषद
मन की गोपन कथाएं नयन तक रही
प्राण के पृष्ट पर प्रीति की वर्तनी
तुम मिटाती रही मैं हनाता रहा
मै तुम्हें ढूंढने...........

एक खामोश हलचल बनी जिंदगी
गहरा ठहरा हुआ जल बनी जिंदगी
तुम बिन जैसे महलों में बीता हुआ
उर्मिला का कोई पल बनी जिंदगी
वृष्टि आकाश में आस का एक दीया
तुम बुझाती रही मैं जलाता रहा
मै तुम्हें ढूंढने............

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