और कौन?

एक छोटी सी लड़की को, मैं प्यार तो इतना कर बैठा
डेरा ऐसा डाला दिल में, कि अब आ पायेगा और कौन?

रचा जो परियों को होगा, फिर तो विधाता के आगे
प्रेरणा स्रोत एकमात्र, तू नहीं तो और कौन ?

आयेंगे भी तेरे कारण, तुमसे ही वो रुक पाएंगे
करता धर्ता मेरे आंसू का, है तेरे अलावा और कौन ?

आँखों कि सबसे दुलारी जो, वो चुभेगी गहरी एक दिन
जितनी अपनी उतनी ही परायी, हो पायेगा और कौन ?

एक शब्द नहीं बन पायेगा, एक हाथ नहीं बढ़ पायेगा
मेरी साँसों को यूँ समेट, ओझल हो जायेगा और कौन ?

उस महक में ऐसा डूबा हूँ, जिस फूल में बसती जान मगर
अजनबी तोड़ ले जायेगा जब, लाचार देखेगा और कौन?

बरसात में भूली भटकी सी, एक सूखी नदी उफनाई थी
बीतेगा जब ये मौसम, फिर बहेगा इसमें और कौन ?

एक बड़े उम्र में नन्हा सा मन, आज तो तुमने पहचान लिया
कल नन्हा जब वो रोयेगा, तो पुचकारेगा उसे और कौन?


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