मैं तुम्हारे साथ भी होता तो क्या !

बहकावे में जीने का
फ़रमान तुम्हारा होता

खुद को ही झुठलाने का
एहसान तुम्हारा होता

अपने डोंगी के पेन्दे में
सुराख़ इक मीही होती

और अपने गीले तलवों पे
गुमान हमारा होता

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