भगवान को खाँसी आयी थी !
जब कहा था तुमने प्यार हुआ
और मैं भी तैयार हुआ
….. तो ज़िन्दगी ने
ऐसी कड़क छौंक लगायी थी
कि भगवान को खाँसी आयी थी!
और मैं भी तैयार हुआ
….. तो ज़िन्दगी ने
ऐसी कड़क छौंक लगायी थी
कि भगवान को खाँसी आयी थी!
This is an attempt to express some thoughts and feelings in the form of poetry. Most of them are written about dreams - which when attained become love & when unattained become ruins. Some of the posts may seem very sorrowful or angry but that's how ruins are supposed to be. And some of the posts may seem very impractical and like a fantasy - very much like a dream. Be patient for some of the verbose posts and feel free to comment. Thanks for your visit.
uhuuu uhuuuu.....
जवाब देंहटाएंbhagwati ko nahi aayi thi :)
जवाब देंहटाएंप्यारी सी कविता है। कभी कभी कम में ही बहुत कुछ रहता है। Slice of life जैसी कुछ। बी स्कूल के बाद लिखने का मन हुआ समझ आ रहा है मगर कहाँ हैं कहानियाँ? कहाँ हैं कवितायें?
जवाब देंहटाएंअपने एक पुराने ब्लौग पर कुछ बहुत अच्छे कमेंट्स देखे इस ब्लौग से तो सोचा कि देखें इधर कौन का मौसम है।
Aap mere blog tak aayengi ye to kabhi soch hi nahin tha! Aapke shabdon ka bahut bada prashanshak hu main. Dhanyavaad.
हटाएंBahut dinon se kalam ruki huyi hai, Kuch purani kavitayein hain jinhe blog par dala nahi hai abhi tak.
*सा मौसम
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