नील पड़ जाता था..

नील पड़ जाता था जब भी
वो बाँहें जोर से पकडूँ तो।

और तुम घबरा जाती थी
कि कैसे इन्हें छुपाऊँगी।

शुक्र है यादों के ज़ोर से
कहीं निशान नहीं पड़ते !!

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट