पान तम्बाखू चिलगम
पान तम्बाखू चिलगम
थोड़ी देर चबा कर
थूक दिये जाते हैं
उनका मुरब्बा नहीं
बनाया जाता
ऐसे ही हैं ये और भी
पैसा, यश, ग़ुस्सा
डिग्री, नौकरी
प्यार, अफ़ेयर
क्रिकेट, सिनेमा
अपने अंदर देखो
कितनी असीमित क्षमता है
और कितना सरल है
अपने अहंकार से ऊपर उठना
चिलगम से पेट नहीं भरता
तुम्हारी आत्मा भी बड़े देर से
भूखी है, प्यासी है
थूक दो अब ये भोग विलास
भोक्ता नहीं, कर्ता नहीं
द्रष्टा बनकर स्वयं को देखो
तोड़ दो अपने आत्मा का
चिरक़ालीन उपवास
शायद बन जाओ किसी दिन
सिद्धार्थ से बुद्ध अनायास
~ सतत
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