थाम लो न ...
भूल न पाया जो देखा था, उस दिन का तेरा रूप
जलने लगी थी यूँ चांदनी, हो जैसे जेठ की धूप
इनकार इकरार, वादे इरादे और थोड़ी तकरार
इन सब में न जाने कब, खो गया ये अपना प्यार
अब तो हालत हो गयी है ऐसी, समझ नहीं कुछ आता है
थाम लो न हाथ ये अब तो, कदम नहीं संभाला जाता है
झूठ ये होगा अगर कहूँ जो, कोई नहीं हो तुम
झूठ ये होगा रहूँ अकेले, और याद न आओ तुम
ध्रुव सत्य है एक मगर, हिम्मत हो तो सुनते जाओ
होते थे कभी हम मगर, अब हो गए मैं और तुम
इस झूठ सच में जो भी जीते, सर्वस्व मेरा ही जाता है
थाम लो न हाथ ये अब तो, कदम नहीं संभाला जाता है
मेरे आंसू फीके होंगे, और शायद बेजान ये मेरी पुकार
आह मेरे सब खोखले होंगे, काल्पनिक होगा वो संसार
सपना न तोड़ा हो तुमने, खुद से ही नींद खुली हो मेरी
टीस मगर उतनी ही लगती, इतना जान लेना मेरे यार
आस तो इतने छोटे हो गए, कुछ भी अब नहीं समाता है
थाम लो न हाथ ये अब तो, कदम नहीं संभाला जाता है
nice ... :)
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